Sunday, July 19, 2020

कहानी :बक़रीद द्वारा एम इकराम फरीदी

जब क़लम हाथ में आया है तो कुछ न कुछ तो होगा 

#कहानी
----------
       
          25 साला सलमा बहुत घबराई हुई थी ! उसके साथ  उसका 5 साला बेटा था जो अतिसुंदर सलमा से भी कहीं ज़्यादा सुंदर था ! दोनों फिलवक़्त एक घने जंगल में चल रहे थे ! सलमा बहुत घबराई हुई थी कि वो आखिर इस जंगल से कैसे निकले ?
          इस शैतान की आंत से बड़े जंगल को पार करके उसे अपने घर जाना था ! वो तेज़ तेज़ चल रही थी ! अन्‍नू का हाथ पकड़े हुए थी! अन्‍नू को मां की इस घबराहट का मतलब समझ में नहीं आ रहा था ! अन्‍नू को क्या पता कि हम कहाँ फंस गये हैं ?
         लेकिन वो इस खतरनाक जंगल को पार कर पाती उससे पहले अचानक एक शोर ने उसे अपने अंकपाश में ले लिया !
         जंगली लोगों ने उसे घेर लिया और चारों तरफ़ घूमकर नाचने लगे !
        सलमा की रीढ़ की हड्डी तक कांप रही थी ! वो उनके सामने हाथ जोड़ रही थी और जंगली उसके इस आर्तनाद पर खूब खुश हो रहे थे !
       फिर वे इन दोनों को अपने साथ ले गये!
       अपने राजा के सामने पेश किया ! राजा समेत सब खुश थे क्योंकि उनके स्वर्ग जाने का रास्ता साफ़ हो गया था ! उन लोगों की यही मान्यता थी कि  "सभ्य बच्चे " की नरबलि से उन्हे स्वर्ग मिलता है !
        4 घंटे बाद --------------
         5 साला अन्‍नू को नहलाया धुलाया था ! फूलमाला से उसे लाद दिया था ! फिर सब लोग उसे ऐसी जगह लाये जहाँ एक चमकता हुआ खंजर रखा था ! 
       सलमा दहाड़े मार सकती थी और वह दहाड़े मार रही थी ! इसी बीच अतिसुंदर अन्‍नू को बलि वाले स्थान पर लाया गया और ------------
     सलमा चीख़ मारते हुए अपने बिस्तर पर उठ बैठी ! उसने दिल पर हाथ रखा ! अल्लाह का शुक्र अदा किया कि चलो ये एक सपना था । उसकी नज़र अन्‍नू को ढूंढने लगी !
       अन्‍नू आज फज्र में ही नहा लिया था ! वह बहुत खुश था ! आज बक़रीद थी !
       सलमा उठी और घरेलू काम में लग गयी ! आज बक़रीद थी , घर में ढेरो काम थे !
       तभी उसकी नज़र उस बकरे पर गयी जिसे नहलाया जा रहा था ! आज उसकी क़ुर्बानी थी , वो जन्नत में जाने का रास्ता पक्का करेगा !
      न जाने क्यों वो सिहर उठी ! उसके माथे पर बल पड़ गये !
      अन्‍नू बकरे के पास ही खड़ा था और बकरे से खेल रहा था ! बकरा अन्‍नू से कम सुंदर नज़र नहीं आ रहा था 
     फिर वो वक्त भी आया जब बकरे की कुर्बानी दी जाने लगी !
    हालांकि सलमा खुद को ज़ब्त करने की कोशिश कर रही थी मगर गर्दन पर छुरी चलने से पहले अचानक सलमा पर सपने वाली दशा छा गयी !
      वह चीख पडी------" न---नहीं ----, ये ज़ुल्म है ------उसे बख्श दो ----मैं हाथ जोड़ती हूं, उसकी मां जीते जी मर जायेगी ---!"
     वह जैसे छुरी पर झपट पड़ी !
     उसके ससुर खड़े हुए -----" ला होल बिला कुव्वत ----मेरे घर में ये क्या शैतानी होने लगी , इसे पकड़ो और बंद करो "
       कुछ लोगों ने सलमा को पकड़कर कमरे में बंद कर दिया !
     जो काम ज़रूरी था उसे अंजाम दिया जाने लगा !
     यकायक वहाँ खून की धारा फूटी !
      एक तरफ़ खडा अन्‍नू सहम गया था !

       ------एम इकराम फरीदी

No comments:

Post a Comment